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Abhibhavak bacchon ke liye samay kaise nikale/अभिभावक बच्चों के लिए समय कैसे निकाले

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Abhibhavak bacchon ke liye samay kaise nikale/अभिभावक बच्चों के लिए समय कैसे निकाले अभिभावक बच्चों के लिए समय कैसे निकाले निकाले:_ अभिभावक अपने बच्चो  की आवश्यकता अवशक्ताओ को पूरा करने में इस तरह से बिजी होते है कि उन्हें बच्चों के लिए भी समय निकालना है यह वह भूल चुके होते है। हमारे भारतीय परिवारों में बच्चों की तरफ मुख्य दायित्व मां का ही दिखाया गया है क्योंकि मां घर में बच्चों के साथ समय ज्यादा से ज्यादा देती पाती है। आधुनिक समाज में अब मां भी घर से बाहर पैसे कमाने के लिए जाती हुई दिखती हैं। जिसके कारण बच्चों का मुख्य रूप से पालन _ पोषण होना  मुश्किल हो गया  है।  अब ऐसे में अभिभावक के सामने एक मुख्य चुनौती होती है कि"अभिभावक बच्चों के लिए समय कैसे निकाले"शुरुआत सुबह से करते हुए सबसे पहलेहम पढ़ रहें हैं। अभिभावक बच्चों के लिए समय कैसे निकाले 1:_सुबह सबके जगने से एक घंटा पहले जागे :_ भारतीय परिवारों में वैसे भी महिलाओं में ये आदत होती ही है, कि वह सब की जगने की 1 घंटे पहले ही  बिस्तर छोड़ देती हैं ।यदि नहीं होती तो उन महिलाओं को अपने रूटीन में यह आदत शामिल कर ल...

अभिभावक अपने बच्चों को समय क्यों नहीं देते /Abhibhavak Apne Bacchon Ko Samay Kyon Nahin Dete .

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अभिभावक अपने बच्चों को समय क्यों नहीं देते /abhibhavak Apne bacchon Ko samay kyon nahin dete . अभिभावक अपने बच्चे तो सब क्यों नहीं देते ।एक हरे भरे परिवार में जब तक बच्चे ना हो तब तक वह परिवार अधूरा समझा जाता है।इन बच्चों का जीवन पूर्ण रूप से अभिभावक पर निर्भर होता है और सब जानते हैं, कि बच्चों की छोटी से  लेकर बड़ी सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए एकमात्र साधन अभिभावक होते हैं। एक दूसरे पर  इतना निर्भर होने का पता होने के बाद भी पेरेंट्स बच्चों को समय नहीं दे देते । आज हम मुख्य उन कारणों के बारे में जानेंगे कि अभिभावक अपने बच्चों को समय क्यों नहीं देते । पेरेंट्स घर में बच्चों को समय नहीं दे पाते उसका मुख्य कारण निम्न लिखित नजर आते हैं। 1) एकल परिवार :_ आज का समाज अधिकतर एकल परिवार में ढला हुआ है। इसमें पेरेंट्स के साथ उनके अपने बच्चे ही घर में रहते हैं। परिवार की जिम्मेदारियों को पूरा करने के कारण उनका ज्यादातर समय बाहर ही गुजरता है । इस कारण अभिभावक अपने बच्चों को उचित समय नहीं दे पाते हैं। 2) महंगाई :_ हर अभिभावक चाहता है अपने बच्चे को उच्चतम शिक्षा...

अकेले रहना कैसे सीखे ? / Akele Rehna Kaise Sikhe?

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अकेले रहना कैसे सीखे? / Akele Rehna Kaise Sikhe ? हम जीवन में अकेला तो कभी रहना नहीं चाहेंगे । हम चाहे बच्चे हो, जवान हो या बुजुर्ग को लेकिन जीवन में कई बार हमें अकेले रहना पड़ता है मजबूरी में हो या   अन्य हालातो में । वह अकेलापन हम लोगों को एक सजा की तरह दिखता है। यह अकेलापन हमें हमें शौक में नहीं मिलता। इसको मजबूरन  ही  हमें झेलना ही पड़ता है। कोई भी इंसान अकेले खुश नहीं रह सकता । बचपन और जवानी  कब कैसे आती है और चली जाती है? उसका तो पता ही नहीं लगता | अकेलेपन का बोझ सबसे ज्यादा उम्र के आखिरी पड़ाव पर ही नजर आता है । जब बच्चे अपने काम में लग चुके होते हैं और हम जिंदगी के आखिरी मोड़ पर होते हैं। क्या  हमे इस समय खुश रहने का अधिकार नहीं है क्योंकि हम बूढ़े हो चुके हैं। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है खुश रहने और अकेले रहने के लिए भी हमें खुशी की आवश्यकता पड़ेगी और पड़ती है हमें यही सीखना है , कि हम अकेले कैसे रह सके और अकेले रहने के साथ हमें खुशी कैसे मिल सकती है। आज हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे कि अकेले रहना कैसे सीखे:_ खुद को वैल्यू दे अपनी पहचान बनाए:_...