किन परिस्तिथियों में परिवार के संबंधों से दूर हो जाना बेहतर / Kin Paristithiyon Mein Parivaar Ke Nireekshan Se Door Hona Behatar /

किन परिस्तिथियों में परिवार के संबंधों से दूर हो जाना बेहतर / Kin Paristithiyon Mein Parivaar Ke Nireekshan Se Door Hona Behatar /

परिवार हर व्यक्ति के लिए उतना ही जरूरी है जितना जिंदा रहने ले लिए सांस लेना। इंसान घर से बाहर की समस्याओं को झेल लेता है और दिन समाप्त होते होते वह घर जाता है। अपनों के बीच रहकर उसे सुकून और शांति की प्राप्ति होती है, लेकिन जिनके  घर में भी अशांति हो उनके लिए समाज की परेशानियां दोगुनी हो जाती हैं। 
यह तो मानना पड़ेगा, कि इस धरती पर यदि जन्म लिया है तो परेशानियां तो काटनी ही होती हैं । वह घर की हो या बाहर की लेकिन कभी आपने यह सोचा है  कि घर में वह कौन कौन सी परिस्थितियां होती हैं जब आप सोचने को मजबूर हो जाते हो कि अब हमें परिवार के संबंधों से दूर हो जाना चाहिए।आज इसी बात की चर्चा करते हैं।

हम और आप जितने ज्यादा आधुनिक होते जा रहे हैं ।यह पारिवारिक समस्या उतनी ज्यादा विकराल रूप लेती जा रही हैं। यह परेशानियां परिवार के बड़े होने के कारण नहीं क्योंकि परिवार तो पहले बड़े होते थे। आज परिवार के नाम पर केवल 4 लोग ही घर पर नजर आते हैं। समस्या घर के सदस्यों पर नहीं समस्या प्रत्येक व्यक्ति का अलग आचरण, व्यवहार, निजी  क्रिया _ प्रतिक्रिया,अमीरी _ गरीबी, शिक्षा _ अशिक्षा ,संस्कार की कमी  होती हैं। परिवार में कुछ बदला तो नही जा सकता लेकिन आगे के लिए सुधlर किया जा सकता हैं।बात कर रहे हैं।ये  घर  घर की कहानी हैं।
किन परिस्तिथियों में परिवार के संबंधों से दूर हो जाना बेहतर 

कवर किया हैं।:_

जहां आप का कुछ न हो 

जब रोज रोज खुद को निर्दोश साबित करना पड़े

जब आप को कुछ अलग या बहुत बड़ा करना हो 

जब आप  किसी रिश्तेदार के घर पर हो 

जब परिवार के लोग हो विद्रोही बन जाए


जहां आप का कुछ न हो :_

 आप भावनाओं से सोचते हो,और  आशा करते हो की दूसरा भी भावनाओ से सोचें पर ऐसा नही होता। कोई एक को पहला कदम उठाना पड़ता है । आप के पीना ने अपने और अपने परिवार के लिए बनवाया था । आप अपना अधिकार समझ कर उस धर में रह रहे हो । माना की आप उनकी संतान हैं आप पिता के घर में नही तो कहा रहोगे।  कानूनी तौर पर भी आप के पिता की चल अचल सम्पत्ति आप की माता की होगी और उनके बाद आप की।  आशा करती हूं कि आप इशारा समझ गए होगे।

जब रोज रोज खुद को निर्दोश साबित करना पड़े:_

जब घर परिवार में  आय दिन कलह बढ़ रही हो और सामाजिक या पारिवारिक तौर पर आप को साबित करना पड़े की आप निर्दोष हो ।तब आप को जरूरत हैं की आप थोड़ा दूर हो जlने की आवश्कता  हैं।ऐसा करने से आप रिश्तों को तोड़ नहीं रहे हो बल्कि स्पेस दे रहे हों। आप ने भी सुना होगा कि घर की मुर्गी दाल बराबर।

जब आप को कुछ अलग या बहुत बड़ा करना हो :_

आप ने खुद भी देखा होगा की घरों से जो बेटे बाहर (शहर / गांव) छोड़ कर कही चले जाते हैं। वो अपने परिवार का स्तर  बढ़ा लेते हैं। उसको आगे बढ़ने के लिए भाई / पिता किसी सहारे कि जरूरत नहीं होती, और वो8तरक्की  कर के आगे बढ़ते रहते हैं। 
किन परिस्तिथियों में परिवार के संबंधों से दूर हो जाना बेहतर

जब आप  किसी रिश्तेदार के घर पर हो :_

परिस्थितियां खराब हो तो बात दूसरी है लेकिन यदि आप किसी भी कारणवश यदि अपने छोटे या बड़े भाई के घर अपनी सुविधा के लिए रह रहे हो तब ऐसी स्थिति में आपको दूरी बना लेनी चाहिए। किसी कारणवश पढाई के लिए आप गांव छोड़ कर शहर में आएं हो या घर में कोई बीमार हो और कुछ समय के लिए शहर में डॉक्टर को दिखाने के लिए आपने किसी अपने रिश्तेदार के घर में रहने का विचार बनाया है तो कुछ दिन की बात तो ठीक है लेकिन इसे  आगे भी जारी रखना सही नहीं होगा।

जब परिवार के लोग हो विद्रोही बन जाए:_ 

कई बार शहरों /गावों में खेती बारी, जायजाद के कारण परिवार के लिए, परिवार के लोग ही दुश्मन बन जाते हैं।  ऐसे में जीवन को महत्व देते हुए  परिवार के संबंधों से दूर हो जाना चाहिए। जो आप के भाग्य में होगा, वो आप को जरूर मिलेगा।  पैतृक सम्पत्ति जो आप के नाम कर दी गई होगी वो आप को कानूनी तौर पर मिल ही जायेगी।तब बेवजह रिश्ता को और खराब करने से क्या? ऐसे में परिवार के संबंधों से दूर हो जाना बेहतर  बेहेतर ही होगा।

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