फैमिली ड्रामा | परिवार में कहासुनी

                         फैमिली ड्रामा  परिवार में कहासुनी

  हैलो दोस्तों,
"रविवार यानि फैमिली ड्रामा" जी हां !आप में से किसी ने कभी यह सोचा है कि आपके घर में संडे या वीकली छुट्टी होती है, तब घर में ड्रामा क्यों होता है? फिर क्यों ना आप संयुक्त परिवार के सदस्य हो या एकल परिवार के आपने गौर किया है या नहीं मुझे नहीं पता लेकिन जहां तक मैंने देखा है गरीबों के यहां यह ड्रामा रोज या सप्ताह में दो-तीन बार होता है मध्यम वर्ग के लोगों के घर में संडे टू संडे या वीकली होलीडे पर और अमीरों के यहा तो यह ड्रामा तब होता है जब कोई घर पर विशेष चर्चा होती है | अपने हक में कुछ खास जोड़ना होता है तब। इस चर्चा का विषय तो तीनों कैटेगरी के लोग आते हैं लेकिन मैं यहां प्रथम कैटेगरी की बात करूंगी । फैमिली मैं कहां सुनी के दो-तीन ही कारण होते हैं और इन्हें बैठकर दोनों पार्टनर समझ जाए तो यह ड्रामा खत्म हो सकता है।
 
1: फैमिली सदस्य:- फैमिली ड्रामा नहीं करती, बल्कि उनमें से एक या 2 सदस्य ही होते हैं जो ड्रामा करते हैं और या फैमिली को नर्क बना देते हैं यह तो आप भी मानोगे की फैमिली के सभी लोग गलत नहीं हो सकते कुछ एक दो ही होते हैं आप एक समझदार व्यक्ति हैं| आप को इशारा काफी है, वह भाई- बहन, माता- पिता , साली, देवर भाभी, देवरानी, जेठानी ,जेठ आपके पिता, पति या आप की पत्नी या सास कोई भी हो सकती है। वास्तविकता यह है कि, इनको या तो घर में शांति ही पसंद नहीं होती या दूसरा वह घर के और लोगों से ज्यादा अपने को महत्व देना पसंद करते हैं और  उन्हें लगता है की लोग मेरा ख्याल रखें और इसी पर संडे को संडे ड्रामा या कहा सुनी शुरू हो जाती है।
2: समय ना देना :  यह बहुत बड़ी संख्या में महिलाओं की शिकायत होती है कि पुरुष मुझे समय नहीं देते लेकिन घर में यह शिकायत कामकाजी मां पर भी आती है और बड़े हो रहे बच्चों पर भी आती है क्योंकि कामकाजी पति हो या पत्नी या दोनों यह तो सच है कि घर को समय नहीं दे पाते | बच्चे पढ़ने लिखने कैरियर ,बनाने में लगे हो सकते हैं |उनका समय कट जाता है पर रह गई घर में मां या बीवी तो अब संडे होता है या छुट्टी का दिन तो वह सोचती हैं ,कि घर में सब मुझे समय दें,और कामकाजी सदस्य सोना चाहता है ,आराम चाहता है । बस संडे का ड्रामा शुरू हो जाता है। 
3: पैसा: यह भी 1 बड़ा रीजन हो सकता है ।यह समस्या दो प्रकार की हो सकती हैं 
1:पैसा ना होना या कम होना ,
2: काम ना होना ।
1: इस पर प्रकाश डालें तो व्यक्ति काम तो कर रहा है, लेकिन धन के अभाव में लाइफ को एंजॉय नहीं कर सकता। बच्चे का जन्मदिन या वेडिंग एनिवर्सरी है पर सेलिब्रेशन नहीं कर पाते।
नासमझ बच्चे या भाई बहन छुट्टी के दिन सब साथ में बैठकर इंजॉय करना चाहते हैं ,और बर्गर पिज़्ज़ा की डिमांड करते हैं वहां पति या भाई यह सोचते हैं की 500_1000 में वह सप्ताह भर की सब्जी ला सकते हैं और इसी को लेकर ...………
2: दूसरा कारण यह हो सकता है जो पहले से ज्यादा खतरनाक होता है। बंदे के पास बाहर जाकर काम करने को ही नहीं है ।जिससे घर पर सौ_ पचास ही आए हैं, और घर का काम चल सके यह स्थिति वाकई बहुत खतरनाक होती है |यह बंदा दिन में तो बाहर समय काट लेता है लेकिन रात पर घर पर सब के एक साथ होने पर बीवी बच्चे कुछ ना कुछ मांगते हैं । तब उनकी इच्छा पूरी न कर पाने के कारण खुद ही परेशान होता है और फिर छोटी-छोटी बातों को लेकर एक दूसरे में कहासुनी शुरू हो जाती है|यह स्थिति तो अच्छे-अच्छे घर के लोगों ने भी लॉकडाउन के समय फेस की होगी ।कितनों की नौकरी चली गई या सैलरी आधी या तिहाई हो गई कहीं तीन _ तीन माह में एक सैलरी मिली और कितने ही परिवार पैसे और काम ना होने के कारण आत्महत्या तक कर ली।
 दवाई जो कि पैसों से मिलती है ना होने के कारण वह मौत को प्यारे हो गए ।इनका तो संडे ही नहीं जिंदगी ही ड्रामा बन गई|
कुछ घरों में इस कहासुनी के कई नाम रखे गए हैं।  जैसे:_ इतवारी लाल या त्योहारी लाल

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