अपनो का प्यार | प्यार को कैसे मजबूत करे
अपनों का प्यार|प्यार को कैसे मजबूत करे
हर पति को पत्नी में केवल कमियां ही नजर आती हैं। तुम घर को सही तरह से साफ नहीं रख सकती हो, काम टाइम पर नहीं कर पाती हो।तुमको ये नहीं आता तुमको वो नहीं आता । बस हर टाइम कमियों को गिनाते रहने मे उनको सुकून मिलता हैं।
हमेशा यही तो होता ही हैं। दिन भर काम के बाद महिलाओं को मिलता क्या हैं, बस इसी तरह की कमियो की लंबी एक लिस्ट तैयार रहती ।लेकिन आज कुछ अलग होने वाला था। रेखा आज घर का सारा काम खत्म करके अपने पति रौनक के ऑफिस चली गई उसने देखा कि पति ने दिन भर से कुछ नहीं खाया था । वह ऑफिस में इधर से उधर सर पर पैर रखे काम किए जा रहा था । इसपर भी उसके बॉस रौनक पर कुछ कमी होने पर डाट भी दिया करते थे। वह बॉस को अपनी सफाई भी देता लेकिन वह कुछ सुनने को तैयार भी नहीं होते उल्टा उसको और जोर जोर से चिल्लाने लगते। रेखा सब कुछ देख रही उसको रौनक पर दया आने लगी कि किस तरह वह जी जान से वह काम कर रहा है और बाते भी सुने जा रहा हैं। आगे उससे देखा नहीं गया ।वह घर चली आई।
आज जब रौनक घर आया तो रोज की तरह वो पानी लेकर आई रेखा की बच्ची वहा खेलती हुई आई और पानी का गिलास रौनक के हाथ से गिर गया। रौनक उस पर चिल्लाने लगा। आज रौनक चिल्ला रहा था लेकिन रेखा मुंह से कुछ नहीं बोल रही थी। आज रौनक की कोई भी बात उसको गलत नहीं लग रहीं थी ।इस व्यवहार से रौनक को भी आश्चर्य हुआ पर अब भी वह चिल्लाए जा रहा था।
बच्ची कमरे मैं चली गई रेखा भी पीछे पीछे गई।उसने देखा की वह रो रही हैं। मां पास गई और उसको समझाने लगी। बेटा: पापा बाहर काम कर के आते हैं ।वह परेशान हो जाते है । वह हम सब के लिए बहुत मेहनत करते हैं। वह हम सब से बहुत प्यार भी करते हैं। हमारे लिए वह बाहर लड़ते भीं हैं। यदि वो नाराज हैं तो हमे थोड़ी देर शांत ही रहना चाहिए। जिससे उनका गुस्सा भी शांत हो जायेगा और वो परिवार के साथ फिर से खुश हो जायेगें।
आज रौनक भी रेखा का ये रूप देख कर बेचैन सा हो गया । वह रेखा के पास गया और उसको बाहों में भर लिया , उसकी आंखों मैं आसू थे । रौनक: "I love you Rekha" अगिनित बार बोले जा रहा था। रेखा भी रोने लगी," I am sorry" रौनक मुझे माफ कर दो। मुझसे गलती हो गई । अब मैं बेवजह नाराज नहीं होंगी।
रौनक और रेखा दोनो रो ही रहे थे। कि उनकी बेटी वहा दौड़ी दौड़ी पहुंची और दोनो के गले लग गई । असल मैं हम लोग दुनिया की बातो में आकर अपने घर को नरक बना लेते है। ।हम आगे पीछे नहीं सोचते हैं। पहले हमे बात की जड़ तक पहुंचना चाहिए तब बहस करनी चाहिए । कोशिश तो यह करे की बहस न ही हो तो अच्छा होगा।
जरूरी नहीं है , कि सामने के घर में रोज लड़ाई होती हैं तो आप भी शुरू हो जाए।कभी कभी की लड़ाई तो समझ में आती हैं पर रोज़ रोज़ की बहेश घर के माहोल को खराब कर देती हैं। जो की अनजाने मैं आप अपने बच्चो को भी गलत सिखा रहें होते हैं और आप को पता भी नहीं लगता और जब तक बच्चे बड़े होते हैं ये उनके खून में बस जाता है ।
।। जिंदगी चार दिन की हैं और
बाकी 2 दिन ही बचे हैं।।
निष्कर्ष: अंत मैं यहीं कहूंगी कि जब हम लोग लंबी यात्रा ट्रेन या बस से करते हैं तो बाजू की सीट पर एक अच्छे इंसान के बारे में सोचते है। कि वह एक अच्छा आदमी या महिला हो ,चुकी सफर अच्छा कटे। हम उसके साथ एक अच्छे इंसान होने का प्रमाण भी देते रहते हैं। तो जीवन की यात्रा मैं जो हमसफर मिला है तो उसके साथ भी एक अच्छा समय काटे शक ,निराशा, गलतफहमी, अपने जीवन मैं न हो तो तो आप को जीवन बेहतरीन ही लगेगा। जिनके प्यार मैं कमी हैं उनको भी ये सोचना चाहिए की जीवन मैं सब को सब कुछ नहीं मिलता।
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