आश्रम नीति के लाभ। आप भीआश्रम में रह सकते हैं।
आश्रम नीति के लाभ। आप भीआश्रम में रह सकते हैं।
हर चर्चा गंभीर ही होती हैं । यही सोच कर इस चर्चा को आगे बढ़ा रही हूं। जीवन में जन्म लेने के तुरंत बाद से ही समस्याओं का ना खत्म होने वाला रेला शुरू हो जाता है। इन समस्याओं का कोई अंत नहीं है आप पैदा होते हैं धीरे-धीरे बड़े होते हैं दुनियादारी सीखते हैं पढ़ाई ,आर्थिक जीवन, घर परिवार में रहना, बाहर बात करना , अच्छी शिक्षा ग्रहण करके जॉब या काम पर लगना ,शादी होना,बच्चे होना इन सब के बीच आप अपना जीवन एक कोने में उठा कर रख देते हैं। पारिवारिक, आर्थिक और सामाजिक समस्याओं के समाधान को ढूंढते ढूंढते हम खुद को भूल जाते हैं।
जहां तक मेरी नजर जाती है मुझे लगता है समस्याओं का यह पहाड़ आधुनिक जीवन में हर इंसान के सामने कुछ ज्यादा ही बड़ा हो गया है जो कभी खत्म ही नहीं हो सकता लेकिन पिछली पीढ़ी को देखते हैं तो यह समस्याएं हमारी समस्याओं से छोटी नजर आती हैं अब यह समझ में नहीं आता की समस्या पिछली पीढ़ियों के पास ज्यादा थी या आज की पीढ़ी के पास या शायद कल की पीढ़ी के पास ज्यादा होगी।इसमें तो कोई शक नहीं है की पिछली पीढ़ियों के पास सामान्य जीवन था। हमारे पास आधुनिकता से भरा जीवन और कल का जीवन इससे भी कहीं ज्यादा आधुनिक हो जाएगा तो आपको यह लगता है की आज से ज्यादा बड़ी कल समस्याएं हो जाएंगी।
हर जीवन का पड़ाव अलग है हर जीवन की समस्याएं अलग हैं । लेकिन बुढ़ापे की समस्याएं सबकी एक ही ही होती हैं बच्चों का सेट करना, धन का बंटवारा करना बीमारियों से संघर्ष करना आर्थिक परेसानियो का समाधान ढूंढना, यह वह समस्याएं हैं जिन से कोई भी अछूता नहीं है।
वैदिक काल की बात करें तो बच्चे के जन्म के उपरांत 12 से 13 साल तक ही बच्चा परिवार के साथ रहा करता था। परिवार के साथ रहकर वह पारिवारिक ,सामाजिक रहन-सहन को माता-पिता के साथ रह कर सीखता था। इसके पश्चात 14 साल की उम्र से वह शिक्षा दीक्षा के लिए गुरुकुल भेज दिया जाता था ,और शिक्षा पूरा होते ही वह घर को लौट आता था। इसके बाद उसका विवाह संपन्न किया जाता था ।अब जैसे ही बालक शादीशुदा जीवन में प्रवेश करते थे वैसे ही घर के बड़े बुजुर्ग आश्रम की ओर प्रस्थान कर जाया करते थे। उनकी ये नीति समाज की बहुत सारी बुराइयों को कम करने के लिए एकदम सही हुआ करती थी।ऐसी परिस्थितियों में बहुत सारी सामाजिक समस्याएं नष्ट हो जाया करती थी।
आश्रम नीति के फायदे:_
1 पिता और पुत्र दोनों अपने दायित्वों को पूरी ईमानदारी के साथ संपन्न करते थे।
2 पारिवारिक कलह ना के बराबर होती थी।
3 शिक्षा के दौरान बच्चो के सामने कोई और सामाजिक, पारिवारिक ,राजनैतिक ,आर्थिक चुनौतियां सामने नहीं होती थी। और जब माता पिता परिवार छोड़कर आश्रम को जाते थे , तब यही सुविधा पिता को मिलती थी।
4 परिवार संबंधी कोई भी सदस्य एक आश्रम में नहीं रहते थे। उनका यह आश्रम जीवन बहुत कठोर जीवन हुआ करता था। जिसका उद्देश्य एकमात्र मोह समाप्त करना होता था।
5:_ इन्हे मृत्यु से डर नहीं लगता था जिसका बहुत बड़ा कारण एक लंबे समय तक आश्रम में रहना ही था।
6:_ कोई किसी के जीवन में दखल अंदाजी नहीं करता था।
7:_ जायजाद की कोई मारामारी नहीं थी।
8:_ सास बहू के झगड़े होने के कोई चांस नही थे।
इसके विपरीत तो आप ही समझ गए होंगे की आश्रम नीति खत्म होने के बाद समस्या क्यों और कैसे बढ़ गई। सच्चाई तो यह है कि हम खुद ही मोह के जाल में ऐसे फंसे हैं कि हर समस्या को खुद ही न्योता देते हैं।
अंतिम सुख के लिए क्या करे :_
संक्षेप में कहें तो रास्ता वही सही था। अभी आप अपने हिसाब से एक सुनिश्चित समय अपने परिवार जनों के सामने बैठकर घोषित कर दें कि आप परिवार से छुट्टी कब लेना चाह रहे हैं। उस राह पर चले जाएं।
सच मानिए उपरोक्त लिखे हुए सभी सुखों की प्राप्ति के साथ आपको जीवन की कोई चिंता नहीं रहेगी। लेखक को नहीं पता कि आपके परिवार में क्या समस्याएं हैं ?आप कैसे दूर करेंगे , लेकिन जब आप सुनिश्चित कर लेंगे की आपको कब और कहा जाना हैं ।तब सारे काम भी उसी प्रकार से हो भी जायेगे।हम लोग आज भी इस आश्रम का फायदा आज भी उठा सकते हैं।
आज आश्रम नीति का फायदा :_ आज भी आश्रम का लाभ वही हैं जो कल थे। इसके अतिरिक्त और भी लाभ देखने को मिलते हैं।
1 :_ जिम्मेदारी जल्दी हो सकती हैं :_आप अपनी लाइफ को उसी तरह प्लान कर सकते हैं जिससे आप जल्दी फ्री हो सकते हैं।
2:_ वृद्ध आश्रम जाने से बच सकते हैं:_ आप के बच्चे आप को यह वह छोड़ आए उससे पहले आप अपनी पसंदानुसार आश्रम मैं इज्जत से चले जाए। जब तक आप में ताकत हैं सेवा करे और जब सेवा नहीं कर सकते तब आप सेवा करवा सकें।
3:_ भक्ति भाव को समय मिलेगा :_ अब तक की दौड़ भाग मैं आप को उपासना का उचित समय नहीं मिला होगा । जिसका अब आप सही फायदा उठा सकते हैं।
4:_आप का जीवन आप का हैं :_ आप का जीवन आप का हैं इसमें किसी की दखल अंदाजी आप क्यू बर्दाश्त करेगें। बेटी को शादी के बाद वह अपने घर पर और बेटे की शादी के 6 माह के अन्तराल में आप अपने मन पसन्द शहर के आश्रम में जाने का प्रस्ताव देकर सम्मानित तरीके से सफर पर निकल जाएं।
5:_ पारिवारिक केलेह से बचे:_ आप ने आप अपने बच्चों को अपने तरीके से पाल लिया और आपके बच्चे अपने बच्चों को अपने तरीके से पालना चाहते हैं तो उनके बीच में हमें अपनी मनमानी नहीं करनी चाहिए।
ऐसे समय में कौन से आश्रम में जाएं :_
1:_ शांतिकुंज हरिद्वार:_
शांति कुंज के संस्थापक श्रीराम शर्मा आचार्य ने हिंदुओं में जात-पात को मिटाने के लिए गायत्री आंदोलन की शुरुआत की। जहां गायत्री के उपासक विश्वामित्र ने कठोर तप किया था उसी जगह उन्होंने अखंड दीपक जलाकर हरिद्वार में शांतिकुंज की स्थापना की।ये अब तक का सबसे बड़ा आश्रम हैं।
2:_ ईशाफाउंडेशन
तमिलनाडु में ईशा फाउंडेशन की सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने 1992 में स्थापना की थी। ईशा फाउंडेशन में योग और मेडिटेशन कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा मिलता है ।इस आश्रम में आप पूरा जीवन या एक लंबे समय तक रहा जा सकता है।
3:_ ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिजॉर्ट :_
आध्यात्मिक गुरु ओशो का जीवन का विवादास्पद रहा है। इसके बावजूद उनको मानने वालों की कमी नहीं है। पुणे में स्थित ओशो के आश्रम को रिजॉर्ट कहना ज्यादा उचित है।
4:_ आर्ट ऑफ लिविंग आश्रम:_
पंचगिरी की पहाड़ियों में स्थित श्री श्री रविशंकर के आर्ट ऑफ लिविंग आश्रम में मेडिटेशन और योग के द्वारा तनाव से छुटकारा से लेकर सेल्फ डिवेलपमेंट तक के कार्यक्रम होते हैं। इसके साथ ही यहां पर होने वाले कार्यक्रम में शरीर और मन को शांति मिलती है।
5:_ रामकृष्ण मिशन:_
स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की कोलकाता के निकट बेलुड़ में स्थापना की थी। मिशन स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं के आधार पर काम करता है। यहां पर सभी धर्मों को मान्यता दी जाती है और सम्मान दिया जाता है।
6:_ अरबिंदो आश्रम
पांडिचेरी में श्री अरबिंदो और मदर के नाम से जानी जाने वाली फ्रांसीसी महिला ने अरबिंदो आश्रम की नींव रखी। अगर आप शांति के माहौल में जाना चाहते हैं तो यह आश्रम अच्छा विकल्प है। यहां पर काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं। इस आश्रम में बने 80 विभागों में आप अपना सबसे बेहतर समय बिता सकते हैं।
आज के समय में सबसे ज्यादा लोग यहीं आना पसंद करते हैं।इनमे कुछ योग के लिए तो कोई पूजा पाठ के लिए पसंद किए जाते हैं। यहां भारत से ही नहीं बाहर से भी अच्छी मात्रा में लोग आते रहते हैं।
इन आश्रमों में रहने के लिए अलग-अलग समय और नियम हैं।
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