पेरेंट्स और बच्चो का रिश्ता क्यू बिगड़ रहा हैं?/ पेरेंट्स और बच्चों की क्यों नहीं बनती हैं?
पेरेंट्स और बच्चो का रिश्ता क्यू बिगड़ रहा हैं? /
पेरेंट्स और बच्चों की क्यों नहीं बनती हैं?
मां बाप और बच्चो का रिश्ता किसी के लिए अनसुना रिश्ता नही हैं। इसके बाद भी हर इंसान इस रिश्ते से अनभिज्ञ लगता है। यह रिश्ता जितना पुराना होता जा रहा है उतना ही आज की दुनिया के लिए नया लग रहा है। जो प्यार पहले बच्चों और माता _ पिता के बीच में हुआ करता था। आज वह रिश्ता शायद ही किसी घर में देखने को मिलता होगा। ऐसा आपने भी महसूस किया होगा।
बच्चे तो बच्चे है! समझना हम बड़ो को पड़ेगा । परेशानी ये है, कि बच्चों को समझा कैसे जाए? पैरंट्स गलत है, या बच्चे यह एक जटिल प्रश्न बन चुका है। आज इस समस्या का समाधान निकालना ही होगा।
आज इसी बात पर चर्चा करते हुए बच्चों को नहीं पहले पेरेंट्स को सुधारने की कोशिश करते हैं।
1: आज के वक्त के अनुसार सोचना होगा:_
जब आप यह मान चुके हो कि समय बहुत तेजी से बढ़ रहा है,तो यह क्यों नहीं मानते कि बच्चों का व्यवहार भी तेजी से बदल रहा है। आपने गौर किया होगा पहले के समय में जो चीजें खाने पीने को मिलती थी। वह आज बाजार में ढूंढने पर भी नहीं मिलती जैसे कंपट ,चूरन,खेलने में पतंग, गांव में चलाने वाले टायर्स जिसके पीछे बच्चे दौड़ा करते थे। देखा जाए तो आज यह खेलने वा खाने की चीजें गांव में भी नहीं मिल पाती है। इसके विपरीत आज बाजार में आसानी से जो मिलता है, वह है बर्गर, पिज़्ज़ा, मोमोज, वीडियो गेम, वेब सीरीज और यूट्यूब। ठीक इसी तरह से हम टाइपिंग सीखते थे और बच्चे कोडिंग सीखते हैं। आप सूती कपड़े पहनते थे, बच्चे रेशमी पहनते हैं ।आप तालाबों में, गांव के नुक्कड़ पर घूमते थे। बच्चे मॉल, स्टेडियम, वाटर पार्क, म्यूजियम, साइंस सेंटर घूमते हैं और हम पेरेंट्स बहुत अच्छे से इन बच्चों की फरमाइश पूरी भी करते हैं।आपको पसंद है, या आप यह सोचते हैं कि आपके बच्चों को अच्छा लगेगा। इसलिए आप बच्चों को घुमाते या खिलाते हैं।मैं आप से पूछती हूं की आप उसे पुराने तरीकों से क्यों नहीं पलते हैं?आप अपने अपने तरीके से बड़ा करना चाहते हैं शायद इसीलिए कि आपके पेरेंट्स ने भी आपको ऐसे ही पाला था या आपने अपने पेरेंट्स से बगावत की थी? मित्रों तब आप क्यों परेशान हैं? एक बार बच्चे से खुद पूछ लो कि वह क्या करना चाहता है? उसको उस क्षेत्र में आगे बढ़ाने में उसकी हेल्प करें ।मुझे लगता है घर की आधी परेशानियां खत्म हो जाएंगी ।
2:_बच्चों को नहीं पहले पेरेंट्स को सीखना होगा :_ हम लोग बच्चों को बहुत कुछ सिखाते हैं ,यह करना है या नहीं करना है वगैरा-वगैरा लेकिन हम पेरेंट्स को खुद क्या करना है,यह कोई नही सोचता। जो पेरेंट्स इस विषय पर गंभीर नहीं होते हैं कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं करना हैं।शायद तब उनके परिवार में कोई परेशानी नहीं रहेगी।
3 :_ दो बच्चों के बीच में तुलना न करें:_ एक समय था जब लड़कों को पढ़ाया जाता था।लड़कियों को पढ़ाना गलत समझा जाता था। आज समय परिवर्तन हुआ पढ़ाई दोनों लोग कर रहे हैं, लेकिन जॉब की स्थिति भिन्न है।% के अनुसार देखा जाए तो लड़कियों को जॉब आसानी से मिलती है और लड़कों को नहीं। ऐसी स्थिति में घर में उन्हीं दो बच्चों के बीच में तुलना होने लगती है,कि आपकी बेटी बहुत काबिल थी बेटा कुछ नहीं कर सकता। क्या सच में इसकी जिम्मेदार बच्चे ही होते हैं हम पेरेंट्स नहीं।
घर में हो सकता हो दो बेटियां ही हो या दो बेटे। सारे बच्चे एक जैसे नहीं होते तो जो बच्चा कमजोर है उसे घर में इतना सुनाया जाता है कि एक दिन उसका दिल घर से भाग जाने या सुसाइड करने का हो जाता है गलत कौन होता है हम पेरेंट्स या बच्चे।
4:_हर इंसान अलग है:_ आपके घर में भी कई भाई-बहन होंगे उसमें कोई ना कोई असफल जरूर होगा। जो आर्थिक रूप से कमजोर होगा कोई शारीरिक रूप से कमजोर होगा कोई खूबसूरती में कम होगा लेकिन कोई कुछ ना कुछ जरूर कर रहा होगा अपने मन मुताबिक तो वह चीज बच्चों के साथ क्यों नहीं होती हम हर बच्चे को कलेक्टर क्यों बनाना चाहते हैं। आप ऐसे क्यू नही देखते की कोई पढ़ने में कमजोर हो लेकिन वह व्यापार अच्छा कर सकता हो। तो उसको वहां सपोर्ट करें।बच्चे को सपोर्ट मिलेगा वह खुश रहेगा।आपकी समस्या खत्म हो जाती है लेकिन हम पैरंट्स बच्चे को तो कलैक्टर ही बनाएंगे।
5: सही समय पर बच्चे पर ध्यान दें:_ जी हां हम बच्चों की पढ़ाई को लेकर शुरू से ही सीरियस रहते हैं , केवल इसलिए कि उसके नंबर अच्छे आएंगे। नंबर अच्छे आएंगे तो अच्छे स्कूल में एडमिशन होगा ।अच्छे स्कूल में एडमिशन होगा तो, उस बच्चे को अच्छा प्लेसमेंट मिलेगा। अच्छा प्लेसमेंट मिलेगा तो ,अच्छी कमाई होगी।ऐसा होने से आप को लगता हैं की आप एक अच्छे पेरेंट्स कहलायेंगे। ऐसा आप लोग सोचते हो लेकिन मुझे लगता है हम पेरेंट्स में यही गलती होती है।
बच्चे की पढ़ाई के ध्यान के साथ शुरू से ही हमें 50% उसके व्यवहार के साथ उसके कैरियर के बारे में सोचना चाहिए। यदि वह सच में 90% लाता है तब उसे आप इंजीनियर डॉक्टर बनाने की सोचे यदि उसके नंबर 40-50 60% के होते हैं तो कृपया बच्चे पर लोड मत डाले हैं । बच्चा डिप्रेशन में चला जाएगा। फिर आप उसे देख कर कितना खुश होंगे? उससे बेहतर यह होगा की पढ़ाई पर ध्यान देते देते आप उसके कैरियर पर ध्यान भी शुरू से दें।
6:_बच्चों को डिप्रेशन में पेरेंट्स या टीचर ही डालते हैं:_जी हां सुनने में बहुत खराब लगता है लेकिन कभी अकेले में बैठ कर आप अपनी गलतियों को ढूंढने की कोशिश करिएगा बच्चा तो चलिए मान जाते हैं कि कमजोर है उसके पास दिमाग नहीं है वह बच्चा छोटा हो या टीनेजर या बढ़ती उम्र का 27_ 28 साल का हो हर जगह गलती हमेशा बच्चे की नहीं होती।
हम बच्चों को अपनी पसंद के स्टीम चुनने को कहते हैं साइंस ,मैथ ,कॉमर्स, आर्ट वगैरा। उस समय बच्चा छोटा होता है ।वह आपकी कहीं हुए अनुसार चलता है ,लेकिन वह पहला बीज होता है जब आप अपने बच्चों से दूर होने लगते हैं। बच्चा यदि आट्र्स कह रहा है तो उसे आर्ट दिला दीजिए। बच्चा यदि साइंस या कॉमर्स कह रहा है तो उसे वह दिला दीजिए।
आप डॉक्टर हैं तो आप अपने बच्चे को डॉक्टर बनाना चाहते हैं क्यों? क्योंकि आपको उसी कैटेगरी के बारे में पता होता है आप खुद कुछ नहीं सीखना चाहते हो । जो आपको आता है आप बच्चे को हेल्प कर सकते हो इसलिए आप अपने बच्चे को वह स्ट्रीम दिलाते हो ।
हां यदि आप पढ़ाई में कमजोर थे तो आप उसे बेहतर वाली चीज कराना चाहोगे, जिससे उसकी अर्निंग ज्यादा हो ज्यादा इज्जत मिले। आपने अपने हिसाब से सोचा बच्चे के बारे में नहीं सोचा, बच्चा कर सकेगा या नहीं कर सकेगा। यही चीज 5 साल के बाद आपके लिए और आपके परिवार के लिए कलह का कारण बनती है।
अतः बच्चों को खुले आसमान में उड़ने दे। उनके व्यवहार और उनके ज्ञान के अनुसार उनको स्वयं अपना क्षेत्र चुनने दीजिए। आप सब याद रखें कि आप बच्चों के साथी हैं युद्ध उन्हीं को करना है इसलिए युद्ध का कुरूक्षेत्र उन्हीं को चुनने दें।
Teg :_
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