शादी के बाद कौन अपनी जिम्मेदारी संभाले /shaadi ke bad Kaun apni jimmedari sambhale ?:_

शादी के बाद कौन अपनी जिम्मेदारी संभाले /shaadi ke bad Kaun apni jimmedari sambhale ?:_

शादी के बाद कौन अपनी जिम्मेदारी संभाले ?:_

ये दोनो के लिए एक महत्वपूर्ण प्रश्न हैं. दोनो अपने को ही बिचारा और दूसरे को नकारा समझते हैं , लेकिन ऐसा नही होता हैं। अभी तक आप गाड़ी में बैठ कर सफर कर रहे थे, बल्कि अब आप ने सफर करना शुरू किए हैं। अब आप  के पास अपनी  गाड़ी  हैं। जिसके आप खुद ही  ड्राइवर हैं।

जिस दिशा की और अपनी गाड़ी ले जाना चाहते हो उधर ले जा सकते हैं। लेकिन आपकी गाड़ी बस या ट्रक नहीं है क्योंकि आपकी गाड़ी एक पूरी रेल की तरह या एक बड़े जहाज की तरह है सफर पर निकली हैं। कहने का मतलब ये हैं कि, इसका एक ड्राइवर नहीं है बल्कि दो ड्राइवर है। तो दोनों की सहमति लेनी होती है एक दिशा की तरफ गाड़ी ले जाने के लिए आता है शांत मन से दोनों यह तय करें कि अपनी गाड़ी हमें किसी और ले जानी है?

अब सवाल आता है , कि शादी के बाद अपनी जिम्मेदारी कौन संभालेगा? यह एक गंभीर सवाल है , लेकिन उतना ही आसान जवाब भी है । यह प्रत्येक व्यक्ति पर निर्भर करता है , कि वह इस सवाल को किस तरीके से अपने उत्तर पुस्तिका पर लिखेगा। समस्या बनकर या समाधान बना कर।

क्या हैं जिम्मेदारीयां :

1:_ आर्थिक जिम्मेदारी:   हम सब जिस समाज में रहते हैं वह समाज एक पुरुष प्रधान हैं। जिसके कारण परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी  पुरषों की होती हैं। वो दूसरी बात हैं कि  सरकार ने महिलाओं को इतना तो काबिल बनाने का प्यास कर दिया हैं कि दोनो मिल कर अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें। 

2:_खाने और खिलाने की जिम्मेदारी:_ कहां रहना हैं ? क्या खाना हैऔर क्या खिलाना हैं? कैसे खिलाना हैं?और इसके बाद क्या बचना हैं ? ये सवाल पुरुष का ही दिमाग भारी करता हैं। लडकियो को बनाने का सोचना होता हैं। उनकी जिम्बेदारी टाइम पर खाना बनाने की होती हैं । कैसे बनाए की घर वालो को पसंद आ जाएं ?

3:_ पत्नी वा बच्चों की जिम्बेदारी:  अपने समय का बटवारा, ऑफिस और घर के टाइम के साथ पति दोस्तो का ,परिवार के सदस्यों को समय देता था। अब उनको पत्नी  को भी समय देना होगा।उसके कुछ समय बाद बच्चे को भी समय देने की जिम्बेदारी निभानी होगी।

4:_ तालमेल बिठाने की जिम्बेदारी:_क्युकी हम सब एक सामाजिक प्राणी हैं इसलिए समाज से दूर रहने की कल्पना ही बेकार हैं। इसके कारण दोनों पर ताल_ मेल की जिम्बेदारी बढ़ जाती है। क्योंकि परिवार में केवल  पति_पत्नी ही नही रहते हैं। दोनो को ही अपने अपने परिवार के अन्य सदस्य जैसे मां _बाप, भाई_ बहन और रिश्तेदारों को भी समय समय पर  ध्यान देना होता हैं । 

5:_ केयर करने की जिम्बेदारी :_ शादी के बाद दोनो को ही एक दूसरे की केयर करे की भी जिम्बेदारी बढ़ जाती हैं । कितने बजे ऑफिस जाना हैं , कितने बजे घर लौटना हैं? घर जाते समय क्या लेकर जाना हैं? क्या मगाया गया हैं? बर्थडे, अन्नीवर्सरी जैसी तारीखे याद रखना  बड़ी जम्मेदारी हो जाती हैं।

6:_भविष्य की जिम्मेदारियां:_ भविष्य की जिम्मेदारियां सबसे बड़ी चुनौती बनकर घड़ी हो जाती हैं।जीवनसाथी के आते ही इंसान के ऊपर उसको खुश रखने की चिंता भी जन्म लेती है। उसके स्वास्थ,उसकी इच्छाएं, उसकी सुरक्षा को लेकर वो सतर्क होना पड़ता हैं।  मकान दुकान की व्यवस्था, बच्चो को पढ़ने की चिंता  आगे चलकर  ये परेशानियां अपना विकराल रूप ले लेती हैं, जिससे कोई बाहर ही नहीं निकल पाता हैं।

अब आप इसे समझदारी कहे या  जिम्मेदारी ? ये आप पर निर्भर है।

आप को ये मानना ही पड़ेगा कि, आप दोनों ही अपनी गाड़ी के ड्राइवर हैं  तो शादी_शुदा जिंदगी संभालने के लिए जिम्मेदारी भी दोनों की ही बराबर होती है। आप इसे ऐसे समझे कि आपके पास स्कूटर हो या फोर व्हीलर और चलते चलते किसी कारणवश गाड़ी खराब होती है तब आप क्या करते हो? तब आप अपनी स्टेपनी की मदद लेने की आवश्यकता पड़ेगी। तब आपको पता चले की डिग्गी में जो स्टेपनी रखी है वह आपकी गाड़ी की नहीं है ।( 4 व्हीलर के पास टू व्हीलर की और टू व्हीलर के पास 2 व्हीलर की )तब क्या आप आगे का सफर तय कर पाओगे। तब गाड़ी चलना नामुमकिन है। आपका पार्टनर आपकी स्टेपनी है उसे पूर्ण रूप से खुश स्वस्थ और अपने लाइफ चलने वाला बनाए रखिए। ये आप की जिम्मेदारी हैं।
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