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अप्रैल, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्या आप मैट्रिमोनियल साइड से विवाह करने की सोच रहें हैं? Kya aap matrimonial side se Vivah karne ke soch rahen hain?

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क्या आप  मैट्रिमोनियल साइड से विवाह करने  की सोच रहें हैं ? Kya aap matrimonial side se Vivah karne  ki soch rahen hain? इसे आप शादियां कराने वाली ऐप के नाम से जान सकते हैं जिसमें आप अपनी जाति धर्म के अनुसार रजिस्टर्ड होकर अपनी पसंद के व्यवसाय आय शहर के लड़के लड़कियों का प्रोफाइल के अनुसार शुल्क जमा करके फोन नंबर ऑनलाइन चैट या वीडियो कॉल आदि करके रिश्तो को पसंद कर सकते हैं।  इस प्रकार की मैट्रिमोनियल साइड में किसी भी कास्ट के दोनों पक्षों के पारिवारिक सदस्यों, विवाह योग वयस्कों का  पूर्ण बायोडाटा स्वयं ही रजिस्टर्ड कर सकते हैं इसके अतरिक्त आप दूसरे का प्रोफाइल भी देख सकते हैं। समाज के दौड़ भाग में आजकल पेरेंट्स को विवाह के लिए लड़के लड़कियों को ढूंढने में दिक्कत होती है अतः इस दिक्कत को दूर करने के लिए इस तरह की ऐप बहुत काम आती  हैं। पहले के समय में यही काम हमारे गांव के नाऊ, शहरों में पंडित आदि किया करते थे। वही काम आज इस  मैट्रिमोनियल साइट ने शुरू की है। अब सवाल यह उठता है कि, यह मैट्रिमोनियल साइट कितनी उपयोगी हैं ? इन पर कितना विश्वास कर...

भारतीय घरों के बुजुर्ग लाचार क्यों / Bhartiy Gharo ke Bujurgon lachar kyon?

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भारतीय घरों के बुजुर्ग लाचार क्यों / Bhartiy Gharo ke Bujurgon lachar kyon? समाज कोई भी हो, बिना बुजुर्गों का परिवार नहीं हो सकता। इनके बगैर घर की न्यू रखना ही असंभव है। यह बुजुर्ग जब तक अपने हाथ पैर के होते हैं तब तक तो वैसे भी कुछ किसी से नहीं कहते लेकिन जब लाचारी की स्थिति आती है शरीर काम नहीं करता है ,तब उन्हें यह शरीर बहुत परेशान करता है। ऐसी स्थिति में यदि उनके बच्चे ,नाती _ पोते उन्हें मदद नहीं करते तो यह उनके लिए बहुत दर्दनाक होता है। बुजुर्गों की लाचारी के निम्नलिखित कारण इस प्रकार हैं। 1:_ अस्वस्थ शरीर :_. बुजुर्गों की लाचारी का पहला कारण अस्वस्थ शरीर है। यह तो हम सब जानते हैं कि जैसे जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है हमारा शरीर कमजोर होता जाता है हम जवानी में कितने भी स्वस्थ क्यों ना रहे हो उम्र बढ़ने पर शारीरिक परेशानियां हमें जीरी ही लेती। 2:_ आर्थिक समस्या:_  इनकी सबसे बड़ी समस्या यह होती है की इनके पास धन नहीं होता । यदि कहीं सरकारी नौकरी में थे तब भी उनकी पेंशन  सीधी अकाउंट में जाती हैं। जिसके चलते उन्हें अपने बच्चों आदि से आवश्यकता के अनुसार पैसे अकाउं...

परिवार को कलह से कैसे बचाए?/Parivar ko kalah se kaise bachayen.

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परिवार को कलह से कैसे बचाए?/Parivar ko kalah se kaise bachayen. Pariwar :_ पहले तो यह जान लेना चाहिए कि परिवार किसे कहते हैं ? तो साधारण भाषा में  कहां जाए तो "एक पति-पत्नी विवाह के और अपने रक्त संबंधी बच्चे के साथ है, एक घर में एक साथ रहते  है, उसे परिवार कहा जाता है। इस परिवार में उनके माता पिता भी उनके साथ ही रहते हैं"। परिवार दो प्रकार के होते हैं।  * संयुक्त परिवार  * एकल परिवार  समाज शास्त्र के अनुसार :_ परिवार पति-पत्नी और बच्चों के समूह को कहते हैं लेकिन कई जगहों में यह (परिवार) एक वेशभूषा रक्त संबंधी समूह को कहा जाता है जिसमें विवाह दत्तक प्रथा और स्वीकृत व्यक्ति सम्मिलित होते हैं। समाज शास्त्र के अनुसार यह परिभाषा कुछ इस प्रकार से होती है। समाजशास्त्री मैकाइवर व पेज के अनुसार परिवार की परिभाषा= परिवार निश्चित यौन संबंध द्वारा परिभाषित एक ऐसा समूह है जो बच्चों के जनन एवं लालन-पालन की व्यवस्था करता है। लॉक के अनुसार= परिवार व्यक्तियों के उस समूह का नाम है जिसमें वह विवाह रक्त याद तक संबंध से संबंधित होकर एक दृष्टि का निर्माण करते हैं एवं एक दूसरे पर स्त्...

रिश्तों का कड़वा सच क्या हैं/Rishto ka kadva sach kya hai

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रिश्तों का कड़वा सच क्या हैं/Rishto ka kadva sach kya hai जब हम रिश्तो की बात करते हैं तो पहला प्रश्न ये सामने आता है, कि वास्तव में रिश्ते होते  क्या है? शायद इसे तो खुद भगवान भी परिभाषित ना कर पाएंगे। बात यह नहीं है कि इसकी परिभाषा नहीं की जा सकती है बात यह है कि यह इतनी जटिल और विस्तृत रूप में है कि इसे कुछ शब्दों में लिखकर परिभाषित नहीं किया जा सकता। इतना कह सकती हूं कि रिश्ते एक एहसास है जिसे देखा नहीं जा सकता है जैसे आप भगवान को देख नहीं सकते। उन्हें एहसास कर सकते हैं ठीक वैसे ही रिश्ते होते हैं। रिश्तो को महसूस किया जा सकता है।   रिश्ता एक विश्वास है :_ जब तक साबुत है तब तक यह रिश्ता है और यह डोर टूट जाती है तो जोड़ नहीं सकती तो उस पर गांठ बन जाती है बस एम जिसका ही होता है जब तक इस में गांठ नहीं पड़ी है तब तक यह रिश्ता है और उसके बाद रिश्ता दिखावटी हो जाता है। रिश्ता एक भावना है: _  रिश्ता एक भावना है ,प्यार है ,संतुष्टि है, दुलार है, अनछुए स्पर्श हैं। यह भावनाओं का समुंदर है। ये जीवन के 9 रासो से परिपूर्ण हैं। रिश्तों का कड़वा सच: दोस्तों इस विषय पर क्...

पेरेंट्स परेशान हैं बच्चे का एडमिशन कौन से कॉलेज में कराएं/ Parents pareshan Hain bacche ka admission kaun se college mein karai

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पेरेंट्स परेशान हैं बच्चे का एडमिशन कौन से कॉलेज में कराएं/  Parents pareshan Hain bacche ka admission kaun se college mein karai  आपके घर में 12th पास बच्चे हैं तो इस समय आपके परिवार में एक ही डिस्कशन हो रहा होगा की बच्चे  का एडमिशन कौन से कॉलेज में कराएं और क्यू?  कॉलेज चुनने में पैरंट से कोई गलती ना हो जाए इसलिए वो कॉलेज चुनने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं और यह सोचना गलत भी नहीं हैं। आज का टॉपिक इसी विषय पर है कि बच्चे के एडमिशन के समय आप कॉलेज कैसे चुने? कॉलेज जाते समय बच्चे बहुत उत्साहित होते हैं उनके फ्रेंड्स जिस कॉलेज में एडमिशन लेते हैं उसी कॉलेज को बच्चे चुनना पसंद करते है, ऐसी स्थिति में पेरेंट्स और भी ज्यादा परेशान हो। आपअपने के साथ बच्चे मिलकर निम्न लिखित टिप्स पर ध्यान देते हुए कॉलेज को चुने। आपकी परेशानी मिनटों में दूर होगी। 1:_  सबसे पहले बच्चे का इंटरेस्ट देखें:_ आप अपने बच्चे की रूचि के अनुसार सब से पहले  एक पेपर पर  कॉलेज के नाम लिखना शुरू करें। वह आपके शहर में हो या दूर हो अभी उस पर ध्यान न दें। इसमें कोई...

पेरेंट्स और बच्चो का रिश्ता क्यू बिगड़ रहा हैं?/ पेरेंट्स और बच्चों की क्यों नहीं बनती हैं?

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  पेरेंट्स और बच्चो का रिश्ता क्यू बिगड़ रहा हैं? /  पेरेंट्स और बच्चों की क्यों नहीं बनती हैं? मां बाप और बच्चो का रिश्ता किसी के लिए अनसुना रिश्ता नही हैं। इसके बाद भी हर इंसान इस रिश्ते से अनभिज्ञ लगता है। यह रिश्ता जितना पुराना होता जा रहा है उतना ही आज की दुनिया के लिए नया लग रहा है। जो प्यार पहले बच्चों और माता _ पिता के बीच में हुआ करता था। आज वह रिश्ता शायद ही किसी घर में देखने को मिलता होगा। ऐसा आपने भी महसूस किया होगा। बच्चे तो बच्चे है! समझना हम बड़ो को पड़ेगा । परेशानी ये है, कि बच्चों को समझा कैसे जाए? पैरंट्स गलत है, या बच्चे यह एक जटिल प्रश्न बन चुका है। आज  इस समस्या का समाधान निकालना  ही होगा। आज इसी बात पर चर्चा करते हुए बच्चों को नहीं पहले पेरेंट्स को सुधारने की कोशिश करते हैं। 1: आज के वक्त के अनुसार सोचना होगा:_ जब आप यह मान चुके हो कि समय बहुत तेजी से बढ़ रहा है,तो यह क्यों नहीं मानते कि बच्चों का व्यवहार भी तेजी से बदल रहा है। आपने गौर किया होगा पहले के समय में जो चीजें खाने पीने को मिलती थी। वह आज बाजार में ढूंढने पर भी नहीं मिलती ...